कोचिन पोर्ट का विकास
ऐसा माना जाता है कि कोचिन पोर्ट का निर्माण ई. 1341 में पेरियार नदी में आई भारी बाढ़ के परिणामस्वरूप हुआ था। तत्कालीन मुजिरिस पोर्ट बाढ़ के दौरान नष्ट हो गया और कोचिन में एक नया पोर्ट निर्माण का मार्ग प्रसश्त हुआ। इसके बाद, कोचिन एक व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित हुआ और कई अंतरराष्ट्रीय यात्रियों ने कोचिन का दौरा किया। औपनिवेशिक प्रशासकों ने अपने व्यापारिक हितों के लिए सदियों से कोचिन पर शासन किया।
महज एक सड़क मार्ग से कोचिन को एक आधुनिक हार्बर के रूप में रूपान्तरित करने का श्रेय हार्बर इंजीनियर सर रोबर्ट ब्रिस्टो को जाता है, जिन्होंने कोचिन (1920-1941) में अपने दो दशकों के कार्यकाल के दौरान बंदरगाह के मुहाने पर रेत पट्टी को काटकर एक उचित शिपिंग चैनल बनाकर तत्कालीन शासकों के निर्णय को लागू किया।
कोचिन पोर्ट में पहला जहाज 26 मई 1928 को प्रवेश किया। इसके बाद, कोचिन के लिए सड़क-रेल नेटवर्क तैयार किए गए, जो महत्वपूर्ण अंतर्देशीय व्यापारिक बिंदुओं को जोड़ते हुए, पोर्ट को केरल तट पर एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बनाया।
मील के पत्थर और घटनाएँ
1341 प्राचीन मुज़िरिस पोर्ट का समापन और कोचिन गट का चौड़ीकरण
1400 मा हुआन, चीनी राजदूत और निकोलो कोंटी, इतालवी यात्री का दौरा
24 दिसम्बर 1500 पुर्तगाली एडमिरल कैब्रल का आगमन
27 सितम्बर 1503 भारत में पहले पुर्तगाली किले के लिए नींव का पत्थर रखा गया
1663 डच द्वारा कोचिन पर कब्जा
20 अक्तूबर 1795 डचों ने अंग्रेजों के समक्ष आत्मसमर्पण
1836 कोचिन पोर्ट का पहला चार्ट बनाया
1859 पहला पोर्ट ऑफिसर के रूप में कप्तान कैस्टर का आगमन
1870 एस्पिनवॉल के ज्ञापन में कोचीन में एक आश्रय बंदरगाह विकसित करने का सुझाव दिया गया।
1880 कोचिन चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा ड्यूक ऑफ बकिंहाम को ज्ञापन
1900 कोचिन चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा लॉर्ड कर्जन, वायसराय और भारत के गवर्नर-जनरल के समक्ष ज्ञापन
1904 चैंबर ऑफ कॉमर्स ने प्रायोगिक ड्रेजिंग को वित्त प्रदान करने की पेशकश किया
1915 एलन कैंपबेल ने बोलघट्टी के माध्यम से कैंडल द्वीप तक रेलवे लाइन का विस्तार करने, भूमि को पुनः प्राप्त करने और वहां गहरे पानी के भण्डार बनाने का प्रस्ताव दिया।
1918 सर जॉन वोल्फ बैरी एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट
13 अप्रैल1920 सर रोबर्ट ब्रिस्टो का आगमन
9 जुलाई 1920 मालाबार के कलेक्टर, ई.एफ.तोमास, आई.सी.एस. की अध्यक्षता में तदर्थ समिति की नियुक्ति
1921 प्रायोगिक ड्रेजिंग के लिए स्वीकृति
1922 आउटर बार पर प्रायोगिक कटौती का शुभारंभ
1924 तीसरे स्तर को अनुमोदन
मई 1926 ड्रेजर "लॉर्ड विलिंगडन 'की कमीशनिंग
30 मार्च1928 पोर्ट के मुहाने पर रेत की पट्टी खुली
26 मई 1928 कप्तान बुलीन के नेतृत्व में बॉम्बे स्टीम नेविगेशन कंपनी के एसएस पद्मा,पहला जहाज़ का हार्बर चैनल में प्रवेश
अगस्त 1928 पहली बार विदेशी जा रहे जहाज क्रोक्स्टेथ हॉल का पोर्ट में प्रवेश
13 मार्च 1929 चैनल का चौड़ीकरण संपूर्ण
1930-31 पोर्ट ने 30 फीट ड्राफ्ट तक जहाज़ों के लिए मार्ग प्रशस्त किया
1 अगस्त 1936 महापत्तन न्यास अधिनियम के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा कोचिन हार्बर का प्रशासन अपने हाथ में लिया गया
12 अगस्त 1936 कोचिन के महाराजा ने चौथे चरण के कार्यों की आधारशिला रखी
2 जून 1939 मट्टांचेरी वार्फ पहला समुद्री जहाज ब्रौनफेल्स का बर्थिंग किया गया
13 सितम्बर 1948 विस्तारित मट्टांचेरी वार्फ में एसएस भारत कुमार, पहला जहाज़ का बर्थिंग किया गया
15 अगस्त 1953 साउथ कोल बर्थ के पास पहला जहाज़ एसएस जयब्रह्मा का बर्थिंग किया गया
31 दिसम्बर 1955 नर्थ टेंकर जेट्टी का कमीशनिंग
6 फरवरी1956 साउथ टेंकर जेट्टी के पास पहला टेंकर एसएस ब्रीटिश फॉर्च्यून का बर्थिंग किया गया
11 नवम्बर 1959 नर्थ कोयला बर्थ का कमीशनिंग
24 फरवरी 1964 कोचिन पोर्ट ट्रस्ट का गठन किया गया
19 मई1964 एरणाकुलम वार्फ़ का कमीशनिंग
1966 पैलेटाइज्ड कार्गो की प्रायोगिक लोडिंग शुरू हुई
13 दिसम्बर 1969 ओपन बर्थ क्यू 9 कमीशन्ड
27 नवम्बर 1973 प्रेसिडेंट टायलर, किसी भी भारतीय बंदरगाह में प्रवेश करने वाले पहले कंटेनर जहाज, एरणाकुलम वार्फ में बर्थ
13 मार्च 1978 पहला रो-रो जहाज़ एसएस गौगुइन का पोर्ट में आगमन
7 सितम्बर 1978 कोचिन मत्स्यकीय बंदरगाह(पहला चरण) कमीशन्ड
27 अप्रैल 1979 कंटेनर फ्रेट स्टेशन उद्घाटित
11 नवम्बर 1981 समेकित विकास परियोजना पर कार्यारंभ
12 जनवरी 1984 कोचिन ऑयल टर्मिनल कमीशन्ड
15 जून 1984 कोयंबत्तूर आईसीडी के साथ कोचिन पोर्ट को जोड़ना
सितम्बर 1985 वल्लारपाडम मदर टर्मिनल पर प्रारंभिक रिपोर्ट भारत सरकार को सौंपी गई
1984-85 समर्पित उर्वरक बर्थ कमीशन्ड
1992-93 कंटेनर फ्रेट स्टेशन कमीशन्ड
1993-94 डॉक लेबर बोर्ड का कोचिन पोर्ट ट्रस्ट के साथ विलय
1994-95 समर्पित कंटेनर हस्तन सुविधा 'राजीव गांधी कंटेनर टर्मिनल' कमीशन्ड
1996-97 नये प्रशासनिक कार्यालय खोला गया
2001-02 बोट ट्रेन पियर (बीटीपी) 330 मीटर लंबी बहु उद्देशीय बर्थ के रूप में पुनर्निर्मित
2007-08 ऑफशोर क्रूड ऑयल हस्तन सुविधा कमीशन्ड
2010-11 1 मिलियन टीईयू क्षमतासंपन्न अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल, वल्लारपाडम का प्रथन चरण का
शुभारंभ। टर्मिनल से बने राष्ट्रीय रेल ग्रिड के लिए फोर लेन एनएच और नई लिंक रेल
2012-13 एलएनजी पुनर्नवीकरण टर्मिनल कमीशन्ड
पहला एलएनजी जहाज़ विलेनेर्जी बर्थ किया गया।
2012-13 सामुद्रिका- क्रूज यात्रि सुविधा केन्द्र कमीशन्ड
संदर्भ:
. सर रॉबर्ट ब्रिस्टो द्वारा कोचिन सागा, सी.आई.ई. ब्रिस्टो मेमोरियल सोसायटी द्वारा प्रकाशित।
. एक क्यून्स स्टोरी- कोचिन पोर्ट के पांच शतक, डी. बाबु पोल आईएएस द्वारा