कोचिन पोर्ट तरल अमोनिया, मेथनॉल, एथिलीन डाइक्लोराइड (ईडीसी) जैसे रसायन उत्पादों का दो बर्थों में हस्तन करता है, जिसमें से एक बर्थ को साउथ कोल बर्थ (एससीबी) कहा जाता है, जो 1953 में शुरू हुआ। हाल ही में, बर्थ का इस्तेमाल फ़र्टिलाइज़र एंड केमिकल्स त्रावणकोर लिमिटेड (एफएसीटी, भारत सरकार का उपक्रम) के तरल अमोनिया के हस्तन के लिए किया गया था और बर्थ के पास उनके तरल भंडारण टैंक 1 हेक्टर के क्षेत्र में फैले हुए हैं।
काल प्रभावन वक्षरण के कारण एससीबी क्षतिग्रस्त स्थिति में है। चूंकि संरचना किफायती मरम्मत से परे है और इसने अपने आर्थिक जीवन को भी पार कर लिया है, पोत परिवहन मंत्रालय की एक विस्तारित शाखा बंदरगाह, जलमार्ग और तट के लिए मेसर्स राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी केंद्र(एनटीसीपीडब्ल्यूसी, आईआईटी, मद्रास) द्वारा इसका एक अध्ययन किया गया था और उन्होंने इसके स्थायित्व और क्षमता की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एससीबी के विलोपन व पुनर्निर्माण की सिफारिश की है। उसी प्रकार रसायनों के संचालन की सुविधा के लिए एससीबी को फिर से संगठित किया जाना प्रस्तावित है।
एससीबी के प्रस्तावित पुनर्निर्माण में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) सेंट्रल प्लेटफ़ॉर्म के दोनों ओर एक सेंट्रल प्लेटफ़ॉर्म और अंतःकरण संरचनाओं के साथ 110 मीटर लंबाई की जेटी हेड (ii) आप्रोच ट्रेस्ट। आरसीसी बोर्ड कास्ट-इन-सीटू पाईल फाउण्डेशन व आरसीसी बीम और स्लैब के साथ सेंट्रल प्लेटफॉर्म 30m x 11.5m साइज का है। आरसीसी बोर्ड कास्ट-इन-सीटू पाईल फाउण्डेशन व आरसीसी बीम और स्लैब के साथ सेंट्रल प्लेटफॉर्म के दोनों ओर 40 मीटर x 12 मीटर आकार की अंतःकरण संरचना प्रदान की जाती है। आप्रोच ट्रेस्ट 7 मीटर कैरिजवे के साथ 33 मीटर लंबा है।
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परियोजना की कुल अनुमानित लागत लगभग 19.19 करोड़ रुपये है। पोत परिवहन मंत्रालय ने सागरमाला योजना के अंतर्गत परियोजना लागत / प्रवृत्त लागत के 50% जो भी कम हो, के वित्तपोषण के लिए पोत परिवहन मंत्रालय के सक्षम प्राधिकारी के सैद्धांतिक अनुमोदन से अवगत कराया और शेष 50% मुख्य उपयोगकर्ता एजेंसी अर्थात, मैसर्स एफएसीटी द्वारा (भविष्य के वार्फ/बर्थ किराया शुल्क में समायोजित की जाने वाली राशि) किया जाएगा।
परियोजना 17 महीने की अवधि के भीतर लागू होने की संभावना है। पहले की तरह, पुनर्निर्मित एससीबी का भी कोचिन पोर्ट ट्रस्ट द्वारा संचालित और अनुरंक्षण किया जाएगा।